मेरा नाम राकेश है मैं आजादपुर फल मण्डी, दिल्ली का हूं, पेशे से मैं फल का व्यापार करता हूं और मैं भूत प्रेत सभी को मानता हूं क्योकि जब भगवान हैं तो भूत प्रेत भी हैं, यह समय आगे बढ गया है टेक्नोलॉजि आगे बढ गई है पर मैं भगवान और भूत प्रेत में विश्वास करता हूं।
एक दिन की बात है मैं अपने पिताजी को गांव से शहर लेकर आया हुआ था और मेरे पिताजी मेरे साथ ही रहा करते थे वो पूजा पाठ में ज्यादा विश्वास करते हैं वो मेरे काम धंधे के जगह आया करते थे और थोड़ी मेरी मदद कर दिया करते थे, हमारी मण्डी के पीछे से रेलवे लाईन है, जहाँ कई बार आदमी कट जाया करते हैं और वो दूसरों को परेशान करते हैं हमारा घर मण्डी से कुछ दूर पर है। एक दिन मेरे पिताजी को मण्डी में लेट हो गया और वो रात को वहाँ से निकले उन्होंने रात को लम्बा रस्ता न पकड़कर सोचा रेलवे लाईन का ही इस्तेमाल करूं इससे समय बचेगा और वा घर के लिये रवाना हो गये। जब वो रेलवे लाईन से जा रहे थे तब उन्होने रेलवे लाईन के पास कुछ लोगों को आग के पास बैठा देखा और सोचा सर्दी का टाईम है चलकर थोड़ा हाथ सेक लेता हूं और वो उन सबके पास जाकर बैठ गये, उन्होंने क्या देखा की सभी आदमी पार्टी की तैयारी में हैं।
पिताजी ने सोचा की हाथ सेंक कर यहाँ से चल देता हूं तो एक ने कहा यहाँ मानूष महकता है, दूसरा भी बोला मानूष महकता है, मेरे पिताजी पुजारी होने के बावजूद थोड़े जानकार भी हैं, उन्हें शक हुआ और उन्होंने उपने ध्यान में देखा तो सोचे गड़बड़ हो गई, वहाँ भूतों की पार्टी चल रही थी जो मांस था वो किसी की लाश को जलाया गया था उन्हें पता ही नहीं था कि यहाँ शमशान है। वो घबराये नहीं और अपने इष्ट देवता को याद किया तो वे प्रकट हो गये और उन्होंने उनसे बात की, तो देवता बोले तू चिंता मत कर तू बैठा रह तूझे जो मिलेगा वो मैं खाउंगा, देवता ने उन्हे एक चादर उढा दी और साथ में बैठ गये, जब वह शैतान मांस लेकर पिताजी के पास आता तो बोलता मानूष महकता है तो देवता उसे डांट देते कहां मानूष मंहकरहा है तूझे चल आगे दे। ऐसा करके इष्ट देवता की वजह से मेरे पिताजी की जान बच पाई।
दोस्तों आपसे अनुरोध है कि आप रात के समय ऐसे खतरनाक रास्तों का प्रयोग ना करें, आप टाईम से घर के लिये निकलें, अगर आपको लेट हो तो आप वैसे रास्ते से जायें जहां रोशनी को या चलता रस्ता हो जिस्से आपको कोई परेशानी ना हो।
धन्यवाद
एक दिन की बात है मैं अपने पिताजी को गांव से शहर लेकर आया हुआ था और मेरे पिताजी मेरे साथ ही रहा करते थे वो पूजा पाठ में ज्यादा विश्वास करते हैं वो मेरे काम धंधे के जगह आया करते थे और थोड़ी मेरी मदद कर दिया करते थे, हमारी मण्डी के पीछे से रेलवे लाईन है, जहाँ कई बार आदमी कट जाया करते हैं और वो दूसरों को परेशान करते हैं हमारा घर मण्डी से कुछ दूर पर है। एक दिन मेरे पिताजी को मण्डी में लेट हो गया और वो रात को वहाँ से निकले उन्होंने रात को लम्बा रस्ता न पकड़कर सोचा रेलवे लाईन का ही इस्तेमाल करूं इससे समय बचेगा और वा घर के लिये रवाना हो गये। जब वो रेलवे लाईन से जा रहे थे तब उन्होने रेलवे लाईन के पास कुछ लोगों को आग के पास बैठा देखा और सोचा सर्दी का टाईम है चलकर थोड़ा हाथ सेक लेता हूं और वो उन सबके पास जाकर बैठ गये, उन्होंने क्या देखा की सभी आदमी पार्टी की तैयारी में हैं।
पिताजी ने सोचा की हाथ सेंक कर यहाँ से चल देता हूं तो एक ने कहा यहाँ मानूष महकता है, दूसरा भी बोला मानूष महकता है, मेरे पिताजी पुजारी होने के बावजूद थोड़े जानकार भी हैं, उन्हें शक हुआ और उन्होंने उपने ध्यान में देखा तो सोचे गड़बड़ हो गई, वहाँ भूतों की पार्टी चल रही थी जो मांस था वो किसी की लाश को जलाया गया था उन्हें पता ही नहीं था कि यहाँ शमशान है। वो घबराये नहीं और अपने इष्ट देवता को याद किया तो वे प्रकट हो गये और उन्होंने उनसे बात की, तो देवता बोले तू चिंता मत कर तू बैठा रह तूझे जो मिलेगा वो मैं खाउंगा, देवता ने उन्हे एक चादर उढा दी और साथ में बैठ गये, जब वह शैतान मांस लेकर पिताजी के पास आता तो बोलता मानूष महकता है तो देवता उसे डांट देते कहां मानूष मंहकरहा है तूझे चल आगे दे। ऐसा करके इष्ट देवता की वजह से मेरे पिताजी की जान बच पाई।
दोस्तों आपसे अनुरोध है कि आप रात के समय ऐसे खतरनाक रास्तों का प्रयोग ना करें, आप टाईम से घर के लिये निकलें, अगर आपको लेट हो तो आप वैसे रास्ते से जायें जहां रोशनी को या चलता रस्ता हो जिस्से आपको कोई परेशानी ना हो।
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